कौन कहा था
उन्हें जाने को
करो प्रार्थना
ईश्वर अल्लाह से
उन्हें एक बार
और आने को
कौन कहा था
उन्हें जाने को,
अभी बाकी थे
कुछ सपने
और दिखाने को
अँधेरे मन में
दिप जलाने को
कौन कहा था
उन्हें जाने को,
करो प्रार्थना
ईश्वर अल्लाह से
उन्हें एक बार
और आने को
ऊँचे ऊँचे
सपने दिखने को
करो प्यार
किताबो से
पाठ पढ़ाने को
मरते दम तक
फर्ज निभाने को ,
कौन कहा था
उन्हें जाने को
दुनिया को
मिशाल देकर
मिशाईलमैन होकर
चलें गये चलें गये
कहीँ दूर सफर पे
चलें गये ...
डा. कलाम को कोटि कोटि
श्रद्धा सुमन अर्पित
मेरी एक कविता
राजू मौर्य
नई बाजार
गोरखपुर ऊ.प्र.