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गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है, छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है, कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना राजा...

Sunday 8 December 2019

वक्त

एक जंगल है तेरी आंखों में
मैं जहां राह भूल जाता हूं

तू किसी रेल सी गुजरती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

तुमको निहारता हूं सुबह से ऋतंभरा अब शाम हो गई
फिर भी मन नहीं भरा
🙏😊☺

Wednesday 27 November 2019

गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है,
छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है,
कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना
राजाओं को फुरसत कहा अभी रैलियाँ चल रहीं हैं
और बढ़ रहीं हैं भीड़ अब तो हर चौराहों पर
कहीं पे लाठियॉ तो कहीं पे गोलियाँ चल रहीं हैं
गर भूल से युवा हित कोई विज्ञापन भी निकाला
तो कोर्ट मे तारिखें और पेशियाँ चल रहीं हैं
खुद को फकीर बता कर्ज हमी से लेकर गये हमारी ही पूंजी से महंगी महंगी गाडियॉ चल रहीं
हैं मेरी यह गज़ल आपके पत्रिका मे स्थान पाये तो मुझे अपार हर्ष होगा
                          धन्यवाद,
                                        राजू मौर्य
                  नई बाजार गोरखपुर उत्तर प्रदेश
                   पिनकोड 273203
                   नई बाजार
                    मो. 7518162884

Saturday 8 June 2019

अंतर्मन की आवाज

रुको !
क्षणभर रुको
भागे जा रहे हो
तुम्हें पता भी है
तुम कहां जा रहे हो
तनिक ठहरो
गहरी सांस लो
आंखें बंद कर
अंतर्मन की आवाज सुनो
क्या चाहता है
तुम्हारा मन और तुम
समय की रफ्तार में
प्रतिस्पर्धा के बाजार में
खो रहे हो खुद को
तनिक ठहरो
गहरी सांस लो
देखो अपने आप को
उस जगह पर
किसी ऐसी जगह पर
जहां तुम सबसे अच्छा कर सकते हो
जहां से तुम
सुकून और संतोष पा सकते हो
वक्त सबके पास है
विचार सबके पास हैं
वक़्त बराबर है 
परन्तु विचार अलग-अलग  है
किंतु  वक्त और विचार के सामंजस्य
एक सूत्र में कैसे बांध पाते हो |
यही सूत्र ही तुम्हें तुम्हारी
सुनो तुम्हारी! मंजिल तक ले जाएगी
इसलिए जरूरी है कि
रुको !
तनिक ठहरो
अंतर्मन की आवाज सुनो!
                                ----  राजू मौर्य,