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गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है, छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है, कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना राजा...

Saturday 8 June 2019

अंतर्मन की आवाज

रुको !
क्षणभर रुको
भागे जा रहे हो
तुम्हें पता भी है
तुम कहां जा रहे हो
तनिक ठहरो
गहरी सांस लो
आंखें बंद कर
अंतर्मन की आवाज सुनो
क्या चाहता है
तुम्हारा मन और तुम
समय की रफ्तार में
प्रतिस्पर्धा के बाजार में
खो रहे हो खुद को
तनिक ठहरो
गहरी सांस लो
देखो अपने आप को
उस जगह पर
किसी ऐसी जगह पर
जहां तुम सबसे अच्छा कर सकते हो
जहां से तुम
सुकून और संतोष पा सकते हो
वक्त सबके पास है
विचार सबके पास हैं
वक़्त बराबर है 
परन्तु विचार अलग-अलग  है
किंतु  वक्त और विचार के सामंजस्य
एक सूत्र में कैसे बांध पाते हो |
यही सूत्र ही तुम्हें तुम्हारी
सुनो तुम्हारी! मंजिल तक ले जाएगी
इसलिए जरूरी है कि
रुको !
तनिक ठहरो
अंतर्मन की आवाज सुनो!
                                ----  राजू मौर्य,