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गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है, छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है, कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना राजा...

Thursday 23 November 2023

Sunday 8 December 2019

वक्त

एक जंगल है तेरी आंखों में
मैं जहां राह भूल जाता हूं

तू किसी रेल सी गुजरती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

तुमको निहारता हूं सुबह से ऋतंभरा अब शाम हो गई
फिर भी मन नहीं भरा
🙏😊☺

Wednesday 27 November 2019

गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है,
छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है,
कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना
राजाओं को फुरसत कहा अभी रैलियाँ चल रहीं हैं
और बढ़ रहीं हैं भीड़ अब तो हर चौराहों पर
कहीं पे लाठियॉ तो कहीं पे गोलियाँ चल रहीं हैं
गर भूल से युवा हित कोई विज्ञापन भी निकाला
तो कोर्ट मे तारिखें और पेशियाँ चल रहीं हैं
खुद को फकीर बता कर्ज हमी से लेकर गये हमारी ही पूंजी से महंगी महंगी गाडियॉ चल रहीं
हैं मेरी यह गज़ल आपके पत्रिका मे स्थान पाये तो मुझे अपार हर्ष होगा
                          धन्यवाद,
                                        राजू मौर्य
                  नई बाजार गोरखपुर उत्तर प्रदेश
                   पिनकोड 273203
                   नई बाजार
                    मो. 7518162884

Saturday 8 June 2019

अंतर्मन की आवाज

रुको !
क्षणभर रुको
भागे जा रहे हो
तुम्हें पता भी है
तुम कहां जा रहे हो
तनिक ठहरो
गहरी सांस लो
आंखें बंद कर
अंतर्मन की आवाज सुनो
क्या चाहता है
तुम्हारा मन और तुम
समय की रफ्तार में
प्रतिस्पर्धा के बाजार में
खो रहे हो खुद को
तनिक ठहरो
गहरी सांस लो
देखो अपने आप को
उस जगह पर
किसी ऐसी जगह पर
जहां तुम सबसे अच्छा कर सकते हो
जहां से तुम
सुकून और संतोष पा सकते हो
वक्त सबके पास है
विचार सबके पास हैं
वक़्त बराबर है 
परन्तु विचार अलग-अलग  है
किंतु  वक्त और विचार के सामंजस्य
एक सूत्र में कैसे बांध पाते हो |
यही सूत्र ही तुम्हें तुम्हारी
सुनो तुम्हारी! मंजिल तक ले जाएगी
इसलिए जरूरी है कि
रुको !
तनिक ठहरो
अंतर्मन की आवाज सुनो!
                                ----  राजू मौर्य,

Sunday 12 August 2018

नीरज

"नीरज का कारवाँ", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/qJHYlVWGfXWI?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओँ में अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और दोस्तों से साझा करें, पूर्णत: नि:शुल्क

Friday 29 June 2018

बाबा की याद

बाबा!
तुम जैसा निडर, साहसिक
और बेबाक व्यक्तित्व
पढ़ने सुनने देखने ,
और समझने को
मुझे आज तक नहीं मिला...
सामाजिक राजनीतिक कुरितियों पर
करारा वार हर बार
आपकी हर कविताओं में
साफ नज़र आता है।
चाहे सत्ता का कोई भी पहरूआ हो
आपकी नजरों में देश का जन सेवक ही तो है भला देश की जनता ने
उसे खुली आजादी दी है?
कि कोई खास जिम्मेदारी दी है?
बाबा!
आपकी नज़र होती तो
जरा ठीक ठीक पहचान करती
और सख़्त एवं कड़ी आलोचना भी करती
कड़ी सज़ा का बन्दोबस्त भी करती
बाबा!
आप जैसे व्यक्तित्व की सख़्त जरूरत है
बाबा!
आप आओगे न !
बाबा!
आप भेजोगे न !
एकदम अपने जैसा व्यक्तित्व!

'बाबा नागार्जुन की जन्म दिन विशेष पर कविता'

नाम - राजू मोर्य,
पता - नई बाजार ,चौरी चौरा ,गोरखपुर
         उत्तर प्रदेश,              
पिनकोड - 273203
मो. -   7518162884

Tuesday 27 March 2018

कर्जदार

क्या करूं यार
मैं भी हो गया कर्जदार
बड़ी मजबूरी में लिया था
उसने भी बड़ी चाव से दिया था
वक्त पे चुका दूँगा कहा था मैंने
वक्त बीत गया
वादा टूट गया
और अकड़ भी
जल्द ही चुका दूँगा
एक वादा फिर किया

मेरी यह कविता आपके पत्रिका में स्थान पाये तो मुझे अपार हर्ष होगा

                                धन्यवाद
                               राजू मौर्य
                      नई बाजार गोरखपुर उत्तर प्रदेश
                       पिनकोड 273203
                       मो.7518162884