गुरु पद प्रणाम सादर
सादर शीश नवाऊँ
बिन गुरु ज्ञान नहिं
आप छोड़ी कहाँ जाऊं
यह संसार सागर माया
पर आप ही से पाऊं
सादर शीश नवाऊँ
ज्यों ही महिमा आपकी
मुझ ऊपर पड़ी जाए
साँच कहूँ मैं
जीवन सफल होइ जाए
गुरु पद प्रणाम सादर
सादर शीश नवाऊँ
5 सिप्तम्बर 2016
शिक्षक दिवस पर
मेरी एक कविता
राजू मौर्य
नई बाजार
गोरखपुर ऊ. प्र.