क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है,
छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है,
छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है,
कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना
राजाओं को फुरसत कहा अभी रैलियाँ चल रहीं हैं
राजाओं को फुरसत कहा अभी रैलियाँ चल रहीं हैं
और बढ़ रहीं हैं भीड़ अब तो हर चौराहों पर
कहीं पे लाठियॉ तो कहीं पे गोलियाँ चल रहीं हैं
कहीं पे लाठियॉ तो कहीं पे गोलियाँ चल रहीं हैं
गर भूल से युवा हित कोई विज्ञापन भी निकाला
तो कोर्ट मे तारिखें और पेशियाँ चल रहीं हैं
तो कोर्ट मे तारिखें और पेशियाँ चल रहीं हैं
खुद को फकीर बता कर्ज हमी से लेकर गये हमारी ही पूंजी से महंगी महंगी गाडियॉ चल रहीं
हैं मेरी यह गज़ल आपके पत्रिका मे स्थान पाये तो मुझे अपार हर्ष होगा
धन्यवाद,
राजू मौर्य
नई बाजार गोरखपुर उत्तर प्रदेश
पिनकोड 273203
नई बाजार
मो. 7518162884
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