क्या करूं यार
मैं भी हो गया कर्जदार
बड़ी मजबूरी में लिया था
उसने भी बड़ी चाव से दिया था
वक्त पे चुका दूँगा कहा था मैंने
वक्त बीत गया
वादा टूट गया
और अकड़ भी
जल्द ही चुका दूँगा
एक वादा फिर किया
मेरी यह कविता आपके पत्रिका में स्थान पाये तो मुझे अपार हर्ष होगा
धन्यवाद
राजू मौर्य
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