Featured post

गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है, छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है, कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना राजा...

Friday 15 July 2016

ऐ काले बादलों

बादल उठ रहें है
बरसने के लिए
किसान खड़े है
इंतजार में
भीगने के लिए
सही - सही बताओ
ऐ बादलों
तुम बरसाने वाले हो
कि तरसाने वाले
तुम्हारे न बरसने से तो
फसलें सुखी जा रहीं है
वट मानव पशू पक्षी सब
प्यासे मरे जा रहें है
आखीर तुम्हारी मंसा क्या है
सही - सही बताओ
ऐ काले  बादलों
जन - जन की  आँखों से
आँसू बरसाने वाले
ऐ बादलों
सही - सही बताओ
तुम बरसाने वाले हो
की तरसाने वाले

3 comments: