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गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है, छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है, कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना राजा...

Friday 29 June 2018

बाबा की याद

बाबा!
तुम जैसा निडर, साहसिक
और बेबाक व्यक्तित्व
पढ़ने सुनने देखने ,
और समझने को
मुझे आज तक नहीं मिला...
सामाजिक राजनीतिक कुरितियों पर
करारा वार हर बार
आपकी हर कविताओं में
साफ नज़र आता है।
चाहे सत्ता का कोई भी पहरूआ हो
आपकी नजरों में देश का जन सेवक ही तो है भला देश की जनता ने
उसे खुली आजादी दी है?
कि कोई खास जिम्मेदारी दी है?
बाबा!
आपकी नज़र होती तो
जरा ठीक ठीक पहचान करती
और सख़्त एवं कड़ी आलोचना भी करती
कड़ी सज़ा का बन्दोबस्त भी करती
बाबा!
आप जैसे व्यक्तित्व की सख़्त जरूरत है
बाबा!
आप आओगे न !
बाबा!
आप भेजोगे न !
एकदम अपने जैसा व्यक्तित्व!

'बाबा नागार्जुन की जन्म दिन विशेष पर कविता'

नाम - राजू मोर्य,
पता - नई बाजार ,चौरी चौरा ,गोरखपुर
         उत्तर प्रदेश,              
पिनकोड - 273203
मो. -   7518162884