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गज़ल

क्या गजब का दौर गजब की नीतियाँ चल रहीं है, छ्लें जा रहें युवा ऐसी रीतियाँ चल रहीं है, कोई भूल कर भी रोजी रोजगार की चर्चा न करना राजा...

Sunday 8 December 2019

वक्त

एक जंगल है तेरी आंखों में
मैं जहां राह भूल जाता हूं

तू किसी रेल सी गुजरती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

तुमको निहारता हूं सुबह से ऋतंभरा अब शाम हो गई
फिर भी मन नहीं भरा
🙏😊☺

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